कलम की शरारत
- गौरव गुप्ता
- Mar 23, 2018
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आज बहुत दिन बाद,
कलम चड़ी मेरा हाथ,
एक कोरे कागज़ पर चला मन,
सब सीमाएं भूला मेरा मन,
मन में कुछ यादें,
और उन यादों से जुड़ी बहुत यादें,
सब को लिख पाना मुश्किल,
यादों को फिर जी कर कुछ ना हासिल,
आज बहुत दिन बाद,
कलम चड़ी मेरा हाथ,
मन में कुछ विचार,
और उन विचारों से उभरते अनेक विचार,
कुछ विचारों का आपस में टकराव,
कुछ पर सहमति तो बाकियों पर साफ इनकार,
आज बहुत दिन बाद,
कलम चड़ी मेरा हाथ,
यादों को भूला,
विचारों को दबा,
मन को सीमा में बांध,
कलम ने छोड़ा हाथ,
आज बहुत दिन बाद,
कलम चड़ी मेरा हाथ
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